अब तुम्हें कैसे बताएं तुम्हें जीतने के लिए मैंने कभी कोई बाज़ी नहीं खेली थी, अपने आप ही रख दी थीं सारी की सारी उमीन्दे तुम्हारे सामने. क्यूंकी मोहब्बत तो हारने का नाम है ना...!! RONAC VASUDEV #RadhaRonac Blank poetry's Suman Zaniyan