प्रेम की अनुभूतियां... मैंने कभी महसूस ही नहीं की अपने अंतर्मन में. .. किसी को बिठाया ही नहीं श्याम की मीरा बन... मैं जोगन न बन पायी छल,कपट, द्वेष त्याग... मैं एक स्त्री का रूप न धर सकीं माथ पर बिंदी सजाई तो... पर किसी की अर्द्धांगिनी न बन सकीं मेरी प्रेम से बनीं ही नहीं शायद इसीलिए मैं..... एक ग़ज़ल न सजा पायी शायद मैं प्रेम समझ न सकीं .. .।। ✍️ बंजारन #Love #loV€fOR€v€R #poterry #kavita #