" मुझे आदत नहीं नशे की , जाम के नाम पे कोई और ही नशा करते हैं , तुझे भूल जाना का इरादा तो करते , फिर से तुझे याद करते हैं फिर से ये ग़मे-वाकिफ होने के लिए , मुझे मंजूर नहीं कोई और लहज़ा याद किया जाये , किसे भूलाकर फिर तर्ज पे फिर किसे याद किया जाय ." --- रबिन्द्र राम " मुझे आदत नहीं नशे की , जाम के नाम पे कोई और ही नशा करते हैं , तुझे भूल जाना का इरादा तो करते , फिर से तुझे याद करते हैं फिर से ये ग़मे-वाकिफ होने के लिए , मुझे मंजूर नहीं कोई और लहज़ा याद किया जाये , किसे भूलाकर फिर तर्ज पे फिर किसे याद किया जाय ." --- रबिन्द्र राम