प्यार में जीत मिले उसकी चाह है भटक रहा वो अपनी राह है उल्फ़त-ए-दामन में ही रहना उसको ज़िन्दगी से हो चुका गुमराह है है घर वालों से भी लड़ने को तैयार उल्फ़त-ए-यार से ही करना विवाह है मांँ के चरणों की जन्नत भूला अब महबूब की गली उसकी दरगाह है मोहब्बत-ए-जाल में हद पार कर रहा अल़्लाह की भी ना उसको परवाह है इश़्क आसान नहीं समझ गया वो जब दिल टूटने पर निकली आह है #PyaarMeBhatka #PoetInMe #ShayarInMe #KaviBhitar #GhazalLove