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क्या किस्सा सुनाऊँ तुम्हें हज़ारों की भीड़ का... चा

क्या किस्सा सुनाऊँ तुम्हें हज़ारों की भीड़ का... 
चाहे मंज़र तन्हा हो या भीड़, ओढ़ के चलना है पर्दा हँसी का...  कि इतना वक़्त कहाँ कि कहानी सुनकर चलती... 
मैं किस्सा तो नहीं जो दो पल में ज़ाहिर होकर चलती.. 
कि मुसाफिरों की महफ़िल में हँसी बेहतर लगती है, 
अगर किसी के आँसू मोहताज हों बारिश के बहने के लिये... 
यूँ जब मुस्कुराहट ओढ़ते हैं जब
बहुत सहज लगते हैं वो कुछ खामोश से लोग... 
#किस्सा_ज़िन्दगी_का #yqdidi #yqhindi #yqthoughts
क्या किस्सा सुनाऊँ तुम्हें हज़ारों की भीड़ का... 
चाहे मंज़र तन्हा हो या भीड़, ओढ़ के चलना है पर्दा हँसी का...  कि इतना वक़्त कहाँ कि कहानी सुनकर चलती... 
मैं किस्सा तो नहीं जो दो पल में ज़ाहिर होकर चलती.. 
कि मुसाफिरों की महफ़िल में हँसी बेहतर लगती है, 
अगर किसी के आँसू मोहताज हों बारिश के बहने के लिये... 
यूँ जब मुस्कुराहट ओढ़ते हैं जब
बहुत सहज लगते हैं वो कुछ खामोश से लोग... 
#किस्सा_ज़िन्दगी_का #yqdidi #yqhindi #yqthoughts