मतलब के पीछे मगरुर तू कैसा बेवकूफ दीवाना हो गया खोद रखी है खाईयां ,पड़ोस में ,पड़ोसी के लिए ही जिस दिन से पड़ोस में , बंद आना जाना हो गया खुद ही मुंह के बल गीरोगे ,उसी खेप में क्या होगा फिर, अगर ऐसा कुछ फसाना हो गया उपर वाले के सामने , बितना सा है ये इन्सा इंसा को चंद मंजिलों से, कैसे गुरूर इतना हो गया झूठ के पर निकल आएं है ,उड़ रहा है चमगादड़ बन के सूरज निकला है फरिश्ता बन के ,देखो जमीं पर आहना हो गया बताओ, क्या मुंह दिखाओगे जनाब जिस दिन खुद का, खुदा से सामना हो गया (आहना - सूरज की पहली रोशनी) YouTube/ #GAURAVpandeyPoet #poeticPandey हो गया #nojotohindi