संस्कृति हिन्द की चाय की टपरी हो,या हो परचून की दुकान कपड़े का शो-रूम हो,या हो मजदूर का मकान, मोबाइल की कंपनी हो,या हो कलाम-ए-ज़ुबान सड़क किनारे झुग्गी हो,या अभाव में हो खान-पान मुश्किल वक़्त से जूझता है हमारा सकल हिंदुस्तान। पढ़ा-लिखा कोई स्नातक हो,या पांचवीं फेल इंसान डॉक्टर,इंजीनियर,कलेक्टर हो,या चांडाल रूपी हैवान, देश के अग्रज नेता हों,या हो कोई साधारण-सा किसान जरूरत देश को होती तो करतें सब कुछ कुर्बान। हिन्दू,मुस्लिम,ईसाई हो,या हो कोई सिक्ख महान बौद्ध,जैन व पारसी हो,या हो फिर धार्मिक आह्वान, व्यक्तिगत परेशानी से आहत हो,या हो किसी और से हैरान हिन्द की मर्यादा पर सबकुछ है धूल समान। लड़ाई आपस की हो,या की हो संस्थान घर हो,दुकान हो या हो फिर कब्रिस्तान, बलात्कारी हिन्दू हो,या की हो मुसलमान धर्म से बढ़कर दिखता है यहां स्त्री का सम्मान, आतुर होते हैं सब मांगते बदले में जान छद्म मर्यादा से परे जहां महत्वपूर्ण है आत्म-सम्मान, जहां की संस्कृति अद्भुत है अतुलनीय है गौरवगान ऐसे पवित्र हिन्द पर ये देह सौ-सौ बार कुर्बान। #मेरा_हिन्द