तुम्हारा मन मेरे मन की खाली जगहें इंतेज़ार से भरी हैं सूखा तालाब के बीच ये ढूंढता कोई ओष का बून्द मीलों बहता जलता हँवा दोपहर मे तपती धरती उफ्फ ये रूठा रूठा आसमान तुम्हारी आँखें और... मेरा मन.... का पागल खाली जगह न जाने क्या ढूंढता आवारा सा ..... #निशीथ ©Nisheeth pandey तुम्हारा मन मेरे मन की खाली जगहें इंतेज़ार से भरी हैं सूखा तालाब के बीच ये ढूंढता कोई ओष का बून्द मीलों बहता जलता हँवा