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अब समझने लगा हूँ Full poem in caption by Ash क

अब समझने लगा हूँ 

Full poem in caption 

by Ash कुछ यूँ खुद को अब समझाने में लगा हूँ 
दर्द को छुपा के अब मुस्कराने में लगा हूँ 

अपनों से रुठ कर कांच सा टूट कर 
इसलिए अब ग़ैरों को मनाने में लगा हूँ 

महसूस किया खुद को तन्हा हर लम्हा 
इसलिए अब खुद को मिटाने में लगा हूँ
अब समझने लगा हूँ 

Full poem in caption 

by Ash कुछ यूँ खुद को अब समझाने में लगा हूँ 
दर्द को छुपा के अब मुस्कराने में लगा हूँ 

अपनों से रुठ कर कांच सा टूट कर 
इसलिए अब ग़ैरों को मनाने में लगा हूँ 

महसूस किया खुद को तन्हा हर लम्हा 
इसलिए अब खुद को मिटाने में लगा हूँ