अब समझने लगा हूँ Full poem in caption by Ash कुछ यूँ खुद को अब समझाने में लगा हूँ दर्द को छुपा के अब मुस्कराने में लगा हूँ अपनों से रुठ कर कांच सा टूट कर इसलिए अब ग़ैरों को मनाने में लगा हूँ महसूस किया खुद को तन्हा हर लम्हा इसलिए अब खुद को मिटाने में लगा हूँ