#OpenPoetry अगर "उलझा" था हमसे तो तुम इसे "सुलझा" भी सकते थे तुम्हारे "हाथ" में भी "रिश्ते" का कोई तो "सिरा" था अमित कुमार गौड़ अगर "उलझा" था हमसे तो तुम इसे "सुलझा" भी सकते थे तुम्हारे "हाथ" में भी "रिश्ते" का कोई तो "सिरा" था #अमित_कुमार_गौड़