कुछ पाया है, तो कुछ और पाने की प्यास है आस है, प्यास है, ज़िन्दगी एक 'एहसास' है ख़्वाब है, ख़्याल है, करती ये बहुत बवाल है आशा है निराशा है, ज़िन्दगी एक 'विश्वास' है पतंग सी उड़ती रहती हवाओं में, बेख़बर है थक जाती वक़्त से ये चलता हुआ 'श्वास' है रंग अनेक इसके, प्रेम व नफ़रत की आग है साधारण-असाधारण,दिखती ना 'खास' है अधूरी है या पूरी है कहानी यह प्यारी सी है अँधेरों में भटकती, सूरज का ये 'प्रकाश' है कवि सम्मेलन भाग-2 तृतीय रचना:_ ज़िन्दगी .#kkकविसम्मेलन #kk_krishna_prem #kkकविसम्मेलन2 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #जिंदगी #life