चले आहो तुमे गाँव ने बुलाया है। मासूम लफ्जों में माँ ने बुलाया है। छोड़ कर जाना कभी आसाँ नंही होगा । मोहब्बतों का कर्ज कभी अदा नंही होगा । भुल जाहो सब उन्हें पर याद रखना तुम । माँ के बिना अच्छा कोई मकाँ नंही होगा । किसी ने तुमेदूआओं में बुलाया है। चले आहो तुमे माँ ने बुलाया है। के कोई अपने सपनों की यादों में बुलाती है। के छलकते आँसुओं में वो बातों में बुलाती है। बड़ा सुना सुना सा है घर का कोई हर आँगन । बिना कुछ कहे तुमसे वो आँखों में बुलाती है। तुम्हारे घर के रस्तों ने राहों ने बुलाया है। चले आहो तुमे माँ ने बुलाया है। तुम्हारे घर की हवायें उदास रहती हैं । के घर की सब बेले नाराज रहती है। छोड़ कर गये हो जब से तुम आँगन । तब से माँ भी तुम्हारी खामोश रहती हैं । चाहने वालों की दुआ ने बुलाया है। चले आहो तुमे माँ ने बुलाया है। जिसने तुमे गिरता सम्भाला याद है तुमको । चेहरे पर उनके तुम्हारे नाम का उजाला याद है तुमको। उस पल याद तो कभी आती तुमे होगी । माँ के हाथ का वो प्यारा निवाला याद है तुमको । चले आहो तुमे माँ ने बुलाया है। चले आहो तुमे माँ ने बुलाया है। झूठा शायर (दीप राही) Siddharth singh(Research scholar@IIT)