#OpenPoetry जब हो जाये किसी को प्रेम अपने , ही प्रतिबिम्ब से डरने वाली से ; तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के , सफर का हमसफ़र हो जाता है ; जब हो जाये किसी को प्रेम अपनी , ही सांसों की तेज़ गति से डरने वाली से; तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के , सफर का हमसफ़र हो जाता है ; जब हो जाये किसी को प्रेम अपनी , ही पदचाप की आवाज़ से डरने वाली से ; तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के , सफर का हमसफ़र हो जाता है ; जब हो जाये किसी को प्रेम अपनी , ही दहलीज़ को पार करने से डरने वाली से ; तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के , सफर का हमसफ़र हो जाता है ; और जब दर्द किसी प्रेम के सफर , का हमसफ़र हो बन जाता है ; तो आँसुओं को देनी पड़ जाती है इज़ाज़त , आँखों के काजल को बहा ले जाने की ! #प्रेम #प्रतिबिम्ब