बच्चों के इन छोटे हाथों को यूँ किताबें छूने दो। बन जाओ तुम ऐसी सीढ़ी कि इन्हें आसमां छूने दो। हम शिक्षकों का अस्तित्व ही इनसे है शिक्षा के तरु वट की जड़ें ही इनसे है तुम प्रतिदिन इन्हें प्रोत्साहित कर सफलता का रस पीने दो बच्चों के इन छोटे हाथों को यूँ किताबें छूने दो। बन जाओ तुम ऐसी सीढ़ी कि इन्हें आसमां छूने दो। हमें आदर्शता का एक प्रतिमान स्थापित करना है अपने अंदर की हर बुराई को अच्छाई से भरना है अनुशासित रखकर खुद को भी उन्हें अनुशासित जीवन जीने दो। बच्चों के इन छोटे हाथों को यूँ किताबें छूने दो। बन जाओ तुम ऐसी सीढ़ी कि इन्हें आसमा छूने दो। तुम जात पात देख कभी इनसे भेदभाव ना करना शिक्षण के इस पेशे को कभी दागदार ना करना नैतिक मूल्यों की अग्नि पर रखकर खुद को इन्हें नैतिकता खुद में सीने दो। बच्चों के इन छोटे हाथों को यूँ किताबें छूने दो। बन जाओ तुम ऐसी सीढ़ी कि इन्हें आसमां छूने दो। शिक्षण का ये पावन कार्य हर किसी को मिलता नहीं बीज से फलदार वृक्ष रचने का ये पुण्य किसी को मिलता नहीं खुद के कांधों पर ये भार लेकर ये राष्ट्र निर्माण खुद को करने दो बच्चों के इन छोटे हाथों को यूँ किताबें छूने दो बन जाओ तुम ऐसी सीढ़ी कि इन्हें आसमां छूने दो। Composed by- B.S.Rautela 8:30am ( 01/02/2019) Lt teacher Rudrapur