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एक चांदनी को निहारा उस एक्लौती चांदनी के पास वोह

 एक चांदनी को निहारा 
उस एक्लौती चांदनी के पास वोह ठेहरा
लाखो करोड़ो चाँदनियो का चहिता होने के बावजुद
नजाने जन्मो से चली आ रही उनकी प्रेम कहानी
जब भी रात आयी उनकी मुलाक़ात रही
और चाँद की कुछ चमक चांदनी ओढ़े
इस तरह सारी रात एक दूसरे को ताडे
वोह चमकते शरमाते रहते

©Prerna Survase
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