वो बस खमोशी से अपना किरदार अदा करती रही चाहे रंगमंच कितना भी संगीन क्यों ना हुआ उसके होठों पर मुस्कुराहट उसकी रूह का आईना थी और कई बार मैंने उसे खरा पीते हुए भी देखा ना उसने उफ़ की ना शिकायत बस लहरों की तरह बहती रही उसकी शिद्दत से अगर बुत तराशे जाते तो ताजमहल बन जाते और उसके हुनर सा मुक़म्मल बस आसमान था वो हिम्मत भी थी वो ताकत भी थी शफ़ा भी थी और समंदर भी उफ़क़ से आसमान समेट कर वो अक्सर सहर किया करती थी @हिमानी।।।। ©Mo k sh K an #sisters_at_arms #mokshkan #they_were_warriors #moskhkan