बेटी नामकरण करके एक बहू को गुलाम बनाकर ब्याह के लाया जाता है... उसकी पहचान के साथ उसकी आत्मा से जुड़ी छोटी छोटी खुशियों को भी बदलने की खूब कोशिश की जाती है जिनको वह बचपन से करती और जीती आई है... और चुभ जाती है जब कोई बात पलट के वो जवाब दे नहीं सकती क्योंकि पिता के संस्कारों पर बात जो आ जाती है... तो घूंघट में ही छुप छुप कर रोया करती है अपने आंसू अपने पल्लू से पोछा करती है... ना जाने क्या मजबूरी है उसकी जो चुपचाप सब कुछ सहा करती है... ©Jyoti Jangra Mandavriya #bahu#unacceptable things#identity#khwaishe#khushi#bride#Sanskar#betiyabahu#sasural #Sunrise