उसकी गली से गुजरना हमे दुस्बार हो गया था ये कैसी मोहब्बत था जो हमपे सवार हो गया था ।। हम गिने जाते थे कभी एक सरीफ सायर की तरह ये कैसी चाहत था जो उसपे बेसुमार हो गया था ।। कभी हम भी डूबा करते थे उसकी नजरो की जाम में आँसूं ही आंसू रेहगये हैं अब ये बहकती शाम में ।। अब जाग जाया करता हूँ जब याद उसकी आती है ये अधूरे इश्क़ लेके अब हमे नींद कहाँ आती है ।। #online_poetry #lotusly