मुझसे मेरी जात न पूछो,मैं हाड़ माँस का पुतला,मिट्टी से बना शमशान हूँ। मैं भूखें की पेट,लाजो की लाज,बारिश में भीगा, ठंड से कम्पित,हिंसा से ग्रसित,मानवता कुंठित,अपनो से विलग,एकाकी पलक, दो वक्त की रोटी,चारदीवारी,मैं भयभीत,मैं लज्जित,मैं अकाल,मैं महामारी,मैं आपदा,मैं विपदा,चहुँओर से घिरा फिर भी अडीग खड़ा,मैं न हिन्दू, मैं न मुसलमान,मैं न सिख,मैं न ईसाई हूँ, क्योंकि कुछ भी होने से पहले मैं सर्वप्रथम इंसान हूँ, मुझसे मेरी जात न पूछो,मैं हाड़ माँस का पुतला मिट्टी से बना शमशान हूँ।। मैं इंसान हूँ। yogesh#poetry#mai ensaan hun#