किसे पता जिंदगी कब किया रंग दिखाएगी न जाने कब किस मोड पर कोनसी मेहनत रंग लाएगी किया पता कब आपको किसकी याद रू लाएगी सँसे ही तो है किया पता कब थम जाएंगी रिश्तों की डोर बारिक है इसे समाल कर रखो न जाने कौन सी डोर कब छूट जाएगी चार दिन की जिंदगी है न जाने कब रूठ जाएंगी सँसे ही तो है एक दिन छूट जाएंगी.... sanse...