जब रात कविता होती है ये चाँद कवि हो जाता है जब स्वप्न कविता में ढलते संसार कवि हो जाता है जब भाव धीरते संकुचाते सुकुमार कवि हो जाता है जब नदी कविता हो जाती है मृदुधार कवि हो जाता है जब प्रीत कविता होती है श्रृंगार कवि हो जाता है जब नेह कविता में ढलता मनुहार कवि हो जाता है निर्झर कविता हो जाए तो उन्माद कवि हो जाता है नेहिल आश्रय पा जाए तो प्रमाद कवि हो जाता है जब नृत्य कविता होती है झंकार कवि हो जाता है जब गीत कविता होती है लय-ताल कवि हो जाता है जब श्रम कविता हो जाए तो उत्पाद कवि हो जाता है जब क्रांति कविता होती है हुंकार कवि हो जाता है जब युद्ध कविता होती है ललकार कवि हो जाता है जब प्रलय कविता होती है हाहाकार कवि जाता है जब शांति कविता होती है सिद्धार्थ कवि हो जाता है जब भक्ति कविता होती है प्रसाद कवि हो जाता है जब विरह कविता होती अवसाद कवि हो जाता है जब मुक्ति कविता होती है निर्वाण कवि हो जाता है काव्ययिनी नौका तिरती है उस पार कवि हो जाता है जब न्याय काव्य हो जाए तो विश्वास कवि हो जाता है काव्य कुसुम सुराभित होता मधुमास कवि हो जाता है तृप्ति कविता होती है जब प्यास कवि हो जाता है जब पर्व हृदय में हुलसें तो उल्लास कवि हो जाता है जब स्वर्णिम सविता मुस्काए प्रकाश कवि हो जाता है जब मन विस्थापित होता है प्रवास कवि हो जाता है जब नींव कविता होती है निर्माण कवि हो जाता है #toyou#yqlife#yqpoems#yqpoets#yqlove#yqmusic#yqfoundation