सुनो,क्यों तुम हद में रहती हो किस बहर-ए-गम में बहती हो ले चलो साथ जब कहता हूँ ठिकाना नहीं मेरा कहती हो मेरी मंजिल को जो जाती है उसी रहगुज़र पे मिलती हो दिल से तुम काम न लेकर सहल को मुश्किल करती हो ख़ुद ही ख़ुद पे सितम करके तुम बड़े नाज से सहती हो #yqbaba#yqdidi#yqbhaijan#सहल#ग़म *हद:-limit, सिमा *बहर-ए-गम:-शोक का दरिया *रहगुज़र:-रास्ता *सहल :-आसान *नाज:-गर्व