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सुनो,क्यों तुम हद में रहती हो किस बहर-ए-गम में बह

सुनो,क्यों तुम हद में रहती हो 
किस बहर-ए-गम में बहती हो

ले चलो साथ जब कहता हूँ
ठिकाना नहीं मेरा कहती हो

मेरी मंजिल को जो जाती है
उसी रहगुज़र पे मिलती हो

दिल से तुम काम न लेकर
सहल को मुश्किल करती हो 

ख़ुद ही ख़ुद पे सितम करके
तुम बड़े नाज से सहती हो #yqbaba#yqdidi#yqbhaijan#सहल#ग़म
*हद:-limit, सिमा
*बहर-ए-गम:-शोक का दरिया
*रहगुज़र:-रास्ता
*सहल :-आसान
*नाज:-गर्व
सुनो,क्यों तुम हद में रहती हो 
किस बहर-ए-गम में बहती हो

ले चलो साथ जब कहता हूँ
ठिकाना नहीं मेरा कहती हो

मेरी मंजिल को जो जाती है
उसी रहगुज़र पे मिलती हो

दिल से तुम काम न लेकर
सहल को मुश्किल करती हो 

ख़ुद ही ख़ुद पे सितम करके
तुम बड़े नाज से सहती हो #yqbaba#yqdidi#yqbhaijan#सहल#ग़म
*हद:-limit, सिमा
*बहर-ए-गम:-शोक का दरिया
*रहगुज़र:-रास्ता
*सहल :-आसान
*नाज:-गर्व