मेरी मय्यत पर आकर तुम सवाल मत करना, जिन्दा हूँ समझकर अब कोई बात मत करना। रुठी हो तो रुठी ही रहना ए मेरे बे-दर्द सनम, गिरा कर नैनों से मोती तुम बर्बाद मत करना। सतेन्द्र गुप्ता