वर्तमान की चिंता छोड़ कर भविष्य की राह ताकते हैं। ये वो हैं जो इस धरा पर सिर्फ़ बैठे - बैठे हांँकते हैं। थोड़ी सी बारिश के डर से घरों में छिप जाते हैं। समुद्र में गोता लगा न सकते सिर्फ़ बाहर से ही नापते हैं। कर्मों पर विश्वास न करते क़िस्मत को सब कुछ मानते हैं। ये वो हैं जो उस धरा पर सिर्फ़ बैठे - बैठे हांँकते हैं। उन्हीं का नाम हुआ जग में वो ही महान कहलाते हैं। जो हर सूरत - ए - हाल में हिम्मत नहीं हारते हैं। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार...📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को नवम् प्रतियोगिता में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 4-8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा। 💫 प्रतियोगिता ¥9:- भविष्य की राह ताकते हैं