आ, आज उड़ा दू तुझे मेरे ख्वाहिश के परिंदे तू नासमझ कभी ना था तुझमे भी जिज्ञासा है हर पल अकेला था अब नहीं किसी की आशा है कितने ख्वाब देखे तूने यहा सभी हकीकत होते हैं, ऊँची उड़ान, ऊर्जा संघर्षों की अब मंज़िल यही, कही दूर नहीं.... #yqhindi #Poetry #art #nojotehind #nojotehindi