*छोड़ दिया* फुरकत के उन किस्सों को सुनना छोड़ दिया मयकदे में भरा पैमाना छोड़ दिया बेखुदी में कदम चल पड़े थे तेरी ओर जिस दिन तबसे हमने मयकदे से पी कर आना छोड़ दिया किर्तासों के कुछ टुकड़ों पर लिखी थीं कुछ शामें मैंने सुबह जब सूरज की किरणों नें सताना छोड़ दिया भीग रहे थे बारिश में मिलने के तुझसे ख्वाब कई फिर हमने उन काग़ज़ की नावों को बनाना छोड़ दिया महफिलों में अक्सर हमने वक़्त पर जाना छोड़ दिया हर शख्स को अब वो सारे राज़ बताना छोड़ दिया अल्फ़ाज़ मेरे जो लबरेज़ थे इश्क़ की स्याही में हमने उन शेरों को महफ़िल में सुनना छोड़ दिया हमनवाई जो ना थी तुझसे फिर भी हमने बहुतों को चाहना छोड़ दिया मुस्तकबिल जो तुझको सौंपा मैंने फिर वो शहर पुराना छोड़ दिया रातों को जब इन आंखों से नींदों ने ठिकाना छोड़ दिया बोझल गई रातें और तूने ख्वाबों में भी आना छोड़ दिया गुल हुए जो खफा वहां यहां भंवरों ने भी गाना छोड़ दिया ज़िक्र भी करे जो तेरा कोई हम कहते......उसे हमने ही चाहना छोड़ दिया दिल नहीं लगता अब इश्क़ में यारों तंग अा कर हमने फिर दिल ही लगाना छोड़ दिया ©rendom_thaughts #poetry #Nazm #Love #remdom_thaughts #Nojoto