ये गुलाब हमारे इश्क़ का पैमाना है, अरे ये तीर है और हम निशाना है। रिसता लहू जिस्म से, ये भी एक कहानी है कहते है जो तुम्हें मोहबत समझानी है, वाक़िफ नहीं वो ये किताबें अब पुरानी है। हम तो अब खुद को कैद रखते है, एक मुस्कुराहट को चेहरे पे मुस्तैद रखते है। पता न चल जाए जमाने को की हम यादों के रंगरेज मे रहते है, इसीलिए तो अश्कों को आँखों मे सहेज के रहते है। #वोमोहब्बतपुरानी #शान❤वाला