धोखे चेहरे पे चेहरा,नजरों पे पहरा जख्म है क्यूँ,इश्क ये गहरा न जाने कितनो ने,खाए हैं धोखे कैद में इसकी,हर शख्स ठहरा बहती नदी,अँधा कुआ,ये गहरा तालाब है इश्क में है,ये भी धोखा,बदलते नकाब हैं #धोखे #dhokhe #december #kaarigar_kalam_ka