जैसे घट घट में हो वास भगवान का कविता उसका प्रमाण हैं, भावों भरी अभिव्यक्ति होती है,शब्द यहाँ सम धनुष बाण हैं, जीव निर्जीव में जान भर दे,अलहड़ को भी दे यह नई पहचान हैं, जो खो गया दुनिया के मेले में कविता बढ़ाती उसका मान हैं, मैं नदी की धार सम,कविता समुद्र की गहराइयों के समान हैं, मैं नाचीज़ सी इंसा हूँ,कविता में ही समाया समस्त ब्रह्याण्ड हैं, क्या कविता शब्दो का सार हैं?नही यह अभिव्यक्ति का आधार हैं, कण कण में विराजमान को प्रस्तुत कर जी हाँ कविता ही संसार हैं अद्वितीय,अलौकिक अद्भुत दिव्यता में समाई एक अमूल्य पारस हैं, उघाड़ के रख दे सफेदपोशों को मिनटों में इसमें वो बात भी खास हैं, भूत, भविष्य, वर्तमान का सार बताये,युगों युगों की कहानी सुनाये, कभी प्रेमवारिधि की बारिश कर दे,तो कभी कभी संस्कृति भी बताये जिसे खरीद लो मुँह बोले दाम मे,ये न कोई बाजारू बिकाऊ चीज़ हैं, वस्त्रधारी की निर्वस्त्र कर दे,भरे बाजार में दिखाती तुम्हारी तमीज़ हैं, अभिव्यक्ति (कविता) 18/09/21 #collabwithकलम_ए_हयात #क़लम_ए_हयात #जन्मदिन_qeh