#OpenPoetry बहुत भुलाने की कोशिश की बहुत बुझाने की कोशिश की ना भुला पाया ना बुझा पाया यादें बढ़ती चली गई दीया का तेज कम ना हुआ मोहब्बत टकरा गई एक दिन मेरी आंखों से जुबा शांत होकर चीख रहा था धड़कन भीतर से निकलने लगी मानो जवाब बहुत था पर जुबान बंद था मेरी आंखे तरस रही थी और उसकी आंखें बरस रही थी उस दिन जब व्यर्थ ना हुआ मेरा मुलाकात मेरा हाथ पकड़ लिया जाकर उसका हाथ उस दिन सब ठीक हुआ हमारी मोहब्बत का जीत हुआ # #PayalSingh #JyotiShaw #JitendraGhosh #RenukaSingh