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#OpenPoetry बहुत भुलाने की कोशिश की बहुत बुझाने की

#OpenPoetry बहुत भुलाने की कोशिश की
बहुत बुझाने की कोशिश की
ना भुला पाया
ना बुझा पाया
यादें बढ़ती चली गई
दीया का तेज कम ना हुआ
मोहब्बत टकरा गई एक दिन मेरी आंखों से
जुबा शांत होकर चीख रहा था
धड़कन भीतर से निकलने लगी मानो
जवाब बहुत था
पर जुबान बंद था
मेरी आंखे तरस रही थी
और उसकी आंखें बरस रही थी
उस दिन जब व्यर्थ ना हुआ मेरा मुलाकात
मेरा हाथ पकड़ लिया जाकर उसका हाथ
उस दिन सब ठीक हुआ
हमारी मोहब्बत का जीत हुआ #Ankita #PayalSingh #JyotiShaw #JitendraGhosh #RenukaSingh
#OpenPoetry बहुत भुलाने की कोशिश की
बहुत बुझाने की कोशिश की
ना भुला पाया
ना बुझा पाया
यादें बढ़ती चली गई
दीया का तेज कम ना हुआ
मोहब्बत टकरा गई एक दिन मेरी आंखों से
जुबा शांत होकर चीख रहा था
धड़कन भीतर से निकलने लगी मानो
जवाब बहुत था
पर जुबान बंद था
मेरी आंखे तरस रही थी
और उसकी आंखें बरस रही थी
उस दिन जब व्यर्थ ना हुआ मेरा मुलाकात
मेरा हाथ पकड़ लिया जाकर उसका हाथ
उस दिन सब ठीक हुआ
हमारी मोहब्बत का जीत हुआ #Ankita #PayalSingh #JyotiShaw #JitendraGhosh #RenukaSingh