[गरीबों की बारिश] घर की छत मजबूत हो तो बारिश और बादलों की कोलाहल भी सुकून लाती है। बारिश में रिसता हो घर जिसका, टप टप की बूंदे उसकी नींद चुराती है। जिन्दगी में कोई कमी नहीं, आंखो में नमी नहीं, भीगता है वो खुले आसमान में तो खुश होता है। शाम का वक्त और घर से दूर हो बारिश रुक नहीं रही और मायूसी भरपूर हो, वही बारिश से दुख होता है। {भाव वही है संदर्भ नई है } ग़रीबी की बारिश में महीनों से भीग रहे कई लोग है यहां, उनकी कच्ची छतो से टपकता हर बूंद उसे ये याद दिलाती है कि उसे बहुत आगे बढ़ना है, सब कुछ नए सिरे से हासिल करना हैं। ©P.Kumar बारिश #migrantworker