पलकें बिछाए बैठी कान्हा,राधा तेरे प्यार में कहाँ छुपे तुम ओ गिरधारी झलक दिखला इक बार में तेरे प्रेम में सब कुछ भूली चली अकेली मैं नार-नवेली तुझसे मिलने की चाह लिए मन में प्रीत के भाव लिए यमुना किनारे बंशी-बजैया मैं सुध-बुध अपनी खो बैठी सांवरिया तेरी याद में खोई मैं वृंदावन को निकल पड़ी तुझसे मिलने आई मैं सांवरे दर्श दिखा तरसा ना सांवरे दूर न तुझसे मैं रह पाऊँ बंशी की धुन पर दौड़ी आऊँ घर-बाहर रास्ते-चौबारे ढूँढ रही हूँ यमुना किनारे बंसीवट की छैंया कहाँ छुपे हो जाकर नटखट कृष्ण कन्हैया बीती रही रैना चंदा छुपा जाए श्याम तुम बिन अब रहा न जाए #पलकें #बिछाए