मुझे समझ में नहीं आता जिन्हें आता हो बताऐं अपनी भेड़ों जैसी मानसिकता कैसे दूर भगाऐं अगर इसे समझना हो तो राहों में खड़े हो जाए टुकुर टुकुर किसी वस्तु को आप निहारते जाए चंद मिनटों में बिन बुलाए मेहमान देखते जाए अपनी 'टिकी' निगाहों पर सबको देखता पाए ना दिखने पर सबालों की बोछार झेलते जाए भेंड़ों जैसी मानसिकता से कैसे निजात दिलाए शायद मेरे लिखे बातों पर आप गुस्सा हो जाए पर सच तो सच है कब - तक इसे झाँपते जाए ©Anushi Ka Pitara #कडवा #सच #humantouch