पराधीनता पराधीनता का मंज़र अच्छा नही लगता, महल भी अपने घर से अच्छा नही लगता। ग़ुलामी की सोने की जंजीर मुबारक़ तुम्हें, मुझें ग़ैर के पैरों में पड़े रहना अच्छा नही लगता। बड़ी कुर्बानियों के बाद ये दिन देखा है हमनें, मुझें ख़्वाबों में भी क़ैद रहना अच्छा नही लगता। जब भी मरुँ अपनी ज़मीन मयस्सर हो मुझें अंजान, ग़ैरों की मिट्टी का ज़ायका मुझें अच्छा न लगता। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #yourquotedidi #yourquotebaba #yourquotehindi #पराधीनता #आशुतोष_अंजान #कविता