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कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)
अर्थात: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं… इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो और न ही काम करने में तुम्हारी आसक्ति हो।

©Jyotirmayee Sarkar
  भगवद गीता।।
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)

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भगवद गीता।। (द्वितीय अध्याय, श्लोक 47) #phool #गीता #भगवदगीता #BhagvadGita #Motivational #sheekh #Slok #Mythology

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