शहर को खामोश देख... वक़्त भी न जाने कितना बेताब रहा। जैसे जिंदगी को👉मां के आंचल में... शुकून की नीदों में सो जाने का भाव रहा। सड़कें,चौराहे और बाज़ार बाट खोजती... और भीड़ के रूठ कर न आने का ठहराव रहा। पशु, पेड़ और पंछी सब स्वच्छंद झुमे... मानों इस धरा पर कई दिनों बाद बस उनका ही राज रहा। #जनता_कर्फ्यू 🙌🙋♂️ #emotions 👇 #शहर को #खामोश देख... #वक़्त भी न जाने कितना बेताब रहा। जैसे जिंदगी को👉मां के आंचल में... शुकून की नीदों में सो जाने का भाव रहा।