रूप की रानी ज़रा सुन,कर रही क्यूंँ यूंँ गुमां तू। चांदनी है चार दिन की, सुन अँधेरी रात है फिर। प्रिय लेखक/लेखिका, [Collab challange (31) में आपका स्वागत है] 🎀 इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 🎀 इस शीर्षक पर मात्र 2 पंक्तियों में ही अपनीं रचना पूर्ण करने का प्रयास करें | 🎀 रचना पूर्ण होने के पश्चात इस पोस्ट पर आकर कमेंट बॉक्स में 'Done’ जरुर लिखें |