दिवा स्वप्न : मैंने कभी कोई दिवा स्वप्न नहीं देखा और जो स्वप्न देखे भी वो भूल गया । केवल एक ही दिवा स्वप्न जो कुछ दिन से हर रोज़ देख रहा हूँ मैंने, वो एक स्वप्न मुझे सोने नही दे रहा क्योंकि उस स्वप्न के केंद्र में तुम थी मेरे जीवन का केंद्र तुम्हारे नेत्रों पर आकर रुक गया है , मेरे जीवन की सारी गति तुम्हारे आने पर निर्भर हो चुकी है, मेरे होने में तुम्हारा होना इस कदर शामिल हो चुका है कि चलते फिरते तुम दिखती हो मुझे या तुम ही होती हो मुझमें । सुनो एक दिन तुम वैसे ही आना जैसे मेरे दिवा स्वप्न में आयी थी , पीले लिबास में मेरे दिए हुए झुमके पहनकर । सुना है दिवा स्वप्न सच हो जाते हैं , मुझे तुम्हारी नही उस दिवा स्वप्न के सच हो जाने की प्रतीक्षा है ।। #छोटेशहरकाआशिक़ #love