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ज़िन्दगी की वीरान पगडंडियाँ.. ख़ामोश से रास्ते.

ज़िन्दगी  की  वीरान  पगडंडियाँ..
ख़ामोश  से  रास्ते..ऐसे  में..चुपके  से..
गुफ़्तुगू  करते..हम  तुम...
तुम्हारा  करीब  ना  होना..
संभव  ही  नही..
#साकेत  और  #हनी
अद्वैत  सा  निर्माण  करते..
युगों  से  ज़िन्दा  हैं..एक  दूसरे  के  अंदर..
मौन  आँखों  में  चंद  ख़्वाब..
और  होंठों  पर  दुआ  लिये..
हाँथों  से  टटोल-टटोल  के..
तुम्हारा  हर  क़तरा महसूस  करते हुए
लफ्ज़-लफ्ज़.. हर्फ़-हर्फ़.. सफ़्हा-सफ़्हा..
रोज़  यूँ  पढ़ता  हूँ  तुम्हें..
देख  नहीं  सकता  लेकिन,
चूम  के  महसूस  करता  हूँ ..
तुम्हारी  पेशानी  की  आयतें  कभी..
और  कभी  ताबीज़  सा 
तुझे  गले  में  बाँध  लेता  हूँ।
ये  अकेलापन ..ये तन्हाई
सुनसान  सा  ये  मन...चुप  सा  है..
तुम्हें  ख़ुद  में.. जीते  हुए..
ख़ुद  में  ही  तुम्हें.. छूते  हुए..!!
ज़िन्दगी  की  वीरान  पगडंडियाँ..
ख़ामोश  से  रास्ते..ऐसे  में..चुपके  से..
गुफ़्तुगू  करते..हम  तुम...
तुम्हारा  करीब  ना  होना..
संभव  ही  नही..
#साकेत  और  #हनी
अद्वैत  सा  निर्माण  करते..
युगों  से  ज़िन्दा  हैं..एक  दूसरे  के  अंदर..
मौन  आँखों  में  चंद  ख़्वाब..
और  होंठों  पर  दुआ  लिये..
हाँथों  से  टटोल-टटोल  के..
तुम्हारा  हर  क़तरा महसूस  करते हुए
लफ्ज़-लफ्ज़.. हर्फ़-हर्फ़.. सफ़्हा-सफ़्हा..
रोज़  यूँ  पढ़ता  हूँ  तुम्हें..
देख  नहीं  सकता  लेकिन,
चूम  के  महसूस  करता  हूँ ..
तुम्हारी  पेशानी  की  आयतें  कभी..
और  कभी  ताबीज़  सा 
तुझे  गले  में  बाँध  लेता  हूँ।
ये  अकेलापन ..ये तन्हाई
सुनसान  सा  ये  मन...चुप  सा  है..
तुम्हें  ख़ुद  में.. जीते  हुए..
ख़ुद  में  ही  तुम्हें.. छूते  हुए..!!