टूटा हुआ एक ख़्वाब हूंँ मैं, पूरा होने को बेताब हूंँ मैं, वो पन्ना जो तूने पढ़ा नहीं, उस पन्ने का अधूरा किताब हूंँ मैं हूंँ नदी फिर भी प्यास हूंँ मैं, मैं ख़ुद के लिए कुछ नहीं पर तेरे लिए ख़ास हूंँ मैं वो दर्द जो तूने महसूस न किया, उस दर्द में लिपटा हुआ एहसास हूंँ मैं सुबह नहीं ढलता हुआ सांँझ हूंँ मैं, जो लफ़्ज़ों से न कहा वो अल्फ़ाज़ हूंँ मैं वो जो तूने सुना नहीं तेरे कानों में जो गुंँजता, वो ख़ामोश आवाज हूंँ मैं 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-59 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।