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ख़त पुराना ख़त रेत की तरह बिखरकर मरीचिका दिखा रहा

ख़त पुराना  ख़त  रेत की तरह बिखरकर
मरीचिका दिखा रहा 

लब्ज लब्ज बयां कर सच दिखाकर, 
खूद को वक्त की लहरों में डुबोता रहा

 रेत की तरह  लब्ज आंसुओं में पन्ना सुखाकर
गहरी गहरी ,ठहरी बातों से भारी  होता रहा

 बिखरे हुए लम्हों को कुछ फाड़ कर, कुछ टालकर
उस ख़त को,या फिर मैं अपने आप  को हल्का करता रहा

उस मरीचिका को देखकर
ख़त में यादों की धुल उड़ाता रहा
ख़त पुराना  ख़त  रेत की तरह बिखरकर
मरीचिका दिखा रहा 

लब्ज लब्ज बयां कर सच दिखाकर, 
खूद को वक्त की लहरों में डुबोता रहा

 रेत की तरह  लब्ज आंसुओं में पन्ना सुखाकर
गहरी गहरी ,ठहरी बातों से भारी  होता रहा

 बिखरे हुए लम्हों को कुछ फाड़ कर, कुछ टालकर
उस ख़त को,या फिर मैं अपने आप  को हल्का करता रहा

उस मरीचिका को देखकर
ख़त में यादों की धुल उड़ाता रहा
meena4086453837016

Meena

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