एक गूँज सी दिल में उठती है,न दर्द की लहर को कहीं आयाम मिलता है न अश्क़ों का सैलाब थमता है,अब न कोई तमन्ना न कोई ख़्वाब इस दिल में जगता है, रूसवा हुई जिंदगी कुछ इस कद्र हमसे हर लम्हा हर ख़्वाहिश में अधूरापन सा लगता है,न मिले सुकून इस जिंदगी में दुनिया में कदम रखने से लेकर जिंदगी की आखिरी शाम होने तक,जाने कहाँ खो गये हम,जाने खो गया कहाँ अस्तित्व हमारा इन्ही अनगिनत सवालों के संग हम उलझन में जीये जा रहे हैं जाने कैसी एक गूँज सी दिल में उठती है। ♥️ Challenge-503 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।