खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी अकेली नारी सब पर भारी थी मराठा कि शान और झाँसी का अभिमान थी वो रणभुमि मे अकेले रहकर देवी माँ का रुप थी वो अग्रेंजो का खौफ,एक नारी की प्रतिभा थी वो तमाम शक्तियो से भरी हुई भारत माता की प्रतिरुप थी वो क्या लिखुं मैं उनकी गाथा ,वो तो अपने में ही एक गाथा हैं हजार नारीयों से बनी हुई वह तो झाँसीकि भाग्य विधाता हैं करती हुँ झुककर मैं अति सम्मान इनका इतिहास में सदा रहेगा नाम इनका आज की नारीयां इनसे प्रेरित होंगी,अपने ऊपर आने वाली बाधा को दुर करेगी... इस वीरगंना को याद करेगीं, और देश में अपना नाम करेगीं... रानी लक्ष्मीबाई को सत् सत् नमन