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ज़िन्दा तो हूं ,पर ज़िन्दगी कहीं खो सी गई है चलती

ज़िन्दा तो हूं ,पर ज़िन्दगी कहीं खो सी गई है
चलती तो हूं,पर राहें कहीं थम सी गई है।।

हर रोज लड़ती हूं खुद से, चंद सांसों के लिए,
सुबह से शाम तक चलती हूं, खोई हुई राहों के लिए ।

मिल जाएं अगर राहें ,तो मंजिल तलाश लेंगे
सासों से रोज लड़कर , ज़िन्दगी संवार लेंगे ।

चल माना आज ज़िन्दगी आज संवार लेंगे,
क्या ख्वाहिशों के बिना उसे ज़िन्दगी का नाम देंगे।।

कुछ ख्वाहिशें भी पूरी कर  ली जरूरत समझकर,
क्या उनके ही सहारे ज़िन्दगी गुज़ार लेंगे।।

तो क्या करे, हर किसी कि 
ज़िन्दगी गुजर रही है इसी कसमकश में,
कुछ ख्वाहिशें पूरी होती है जरुरत के नाम पर
और कुछ जरूरतें कर लेते है पूरी ख्वाइशों के नाम पर
हर दिन बीत जाता है , ख्वाहिशें पूरी करने की आस पर
और ज़िन्दगी बीत जाती है जरूरत के नाम पर।।

©Bawari ज़िन्दा तो हूं ,पर ज़िन्दगी कहीं खो सी गई है
चलती तो हूं,पर राहें कहीं थम सी गई है।।

हर रोज लड़ती हूं खुद से, चंद सांसों के लिए,
सुबह से शाम तक चलती हूं, खोई हुई राहों के लिए ।

मिल जाएं अगर राहें ,तो मंजिल तलाश लेंगे
सासों से रोज लड़कर , ज़िन्दगी संवार लेंगे ।
ज़िन्दा तो हूं ,पर ज़िन्दगी कहीं खो सी गई है
चलती तो हूं,पर राहें कहीं थम सी गई है।।

हर रोज लड़ती हूं खुद से, चंद सांसों के लिए,
सुबह से शाम तक चलती हूं, खोई हुई राहों के लिए ।

मिल जाएं अगर राहें ,तो मंजिल तलाश लेंगे
सासों से रोज लड़कर , ज़िन्दगी संवार लेंगे ।

चल माना आज ज़िन्दगी आज संवार लेंगे,
क्या ख्वाहिशों के बिना उसे ज़िन्दगी का नाम देंगे।।

कुछ ख्वाहिशें भी पूरी कर  ली जरूरत समझकर,
क्या उनके ही सहारे ज़िन्दगी गुज़ार लेंगे।।

तो क्या करे, हर किसी कि 
ज़िन्दगी गुजर रही है इसी कसमकश में,
कुछ ख्वाहिशें पूरी होती है जरुरत के नाम पर
और कुछ जरूरतें कर लेते है पूरी ख्वाइशों के नाम पर
हर दिन बीत जाता है , ख्वाहिशें पूरी करने की आस पर
और ज़िन्दगी बीत जाती है जरूरत के नाम पर।।

©Bawari ज़िन्दा तो हूं ,पर ज़िन्दगी कहीं खो सी गई है
चलती तो हूं,पर राहें कहीं थम सी गई है।।

हर रोज लड़ती हूं खुद से, चंद सांसों के लिए,
सुबह से शाम तक चलती हूं, खोई हुई राहों के लिए ।

मिल जाएं अगर राहें ,तो मंजिल तलाश लेंगे
सासों से रोज लड़कर , ज़िन्दगी संवार लेंगे ।
sujatamaheshwari9839

Bawari

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