ना अब पहले सी बाते हैं ना अब वो पहले सी आहट है ना कहीं चैन मिलता है दिल को ना चेहरे पर वो मुस्कुराहट है ना जाने कैसा ये मंज़र है ना जाने कैसी ये कड़वाहट है दूर तक फैला दुनिया का मेला है फिर भी उससे मिलने की छटपटाहट है... © abhishek trehan ♥️ Challenge-578 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।