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ग़म ए हिज्र में कुछ ऐसा कर ना जाऊं मैं यही आल

ग़म  ए  हिज्र में कुछ  ऐसा  कर ना जाऊं मैं

यही आलम  रहा एक  दिन मर ना जाऊं में

                             Rashid Rafeek #II T kavyanjali
ग़म  ए  हिज्र में कुछ  ऐसा  कर ना जाऊं मैं

यही आलम  रहा एक  दिन मर ना जाऊं में

                             Rashid Rafeek #II T kavyanjali