आसमान से बरसते ग़ुलाब देखती है। बहुत प्यारे-प्यारे से ख़्वाब देखती है। तरसते अरमान और प्यासा सा मन! बहने मोहब्बत का सैलाब देखती है। मुस्कुराने पर बिख़र जाता है बसन्त! नाचते गाते हुए से ठहराव देखती है। दूसरी दुनिया से आई है वो ज़मीं पर! हरेक सै में कौतुहल तमाम देखती है। वीणा में पिरोए नए नए सुर चाहत के! तेरे नाम का 'पंछी' फ़ैलाब देखती है।— % & आसमान से बरसते ग़ुलाब देखती है। बहुत प्यारे-प्यारे से ख़्वाब देखती है। तरसते अरमान और प्यासा सा मन! बहने मोहब्बत का सैलाब देखती है। मुस्कुराने पर बिख़र जाता है बसन्त! नाचते गाते हुए से ठहराव देखती है।