नदियों हम किनारों तरफ़ लौट रहे हैं नाज़ुक मिले इशारों तरफ़ लौट रहे हैं शहर के शर्तो पे जी कर आजिज़ हैं सो अपने पुरखे प्यारों तरफ़ लौट रहे हैं उदासियां रह रह लौट आया करती हैं हाथ बढ़ाए दो सितारों तरफ़ लौट रहे हैं छूट चुके कल की तलाश में निकलना है और बिछड़े हुए सारों तरफ़ लौट रहे हैं बदलने से कहानियां बदल जाया करती हैं बदल कर गुजिश्ता बहारों तरफ़ लौट रहे हैं Going back #roots #ancestors #journey #shahbazwrites #passion4pearl #life #yqtales #yqdiary