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एक मुक्तक ऐसा भी --- हृदय की वेदना को तुम, हृदय

एक मुक्तक ऐसा भी ---

हृदय  की वेदना को तुम,
हृदय  में 'राज'  रहने दो।

बने  जो  प्रेम  का सागर,
हृदय का 'साज' रहने दो।

मोहब्बत  एक  दरिया है,
जो अविरल यूँ बहेगी ही,

गर नाराज हो दुनिया तो,
उसे  'नाराज'   रहने  दो।

©राजेश कुशवाहा 'राज' एक मुक्तक ऐसा भी ---

हृदय  की वेदना को तुम,
हृदय  में 'राज'  रहने दो।

बने  जो  प्रेम  का सागर,
हृदय का 'साज' रहने दो।
एक मुक्तक ऐसा भी ---

हृदय  की वेदना को तुम,
हृदय  में 'राज'  रहने दो।

बने  जो  प्रेम  का सागर,
हृदय का 'साज' रहने दो।

मोहब्बत  एक  दरिया है,
जो अविरल यूँ बहेगी ही,

गर नाराज हो दुनिया तो,
उसे  'नाराज'   रहने  दो।

©राजेश कुशवाहा 'राज' एक मुक्तक ऐसा भी ---

हृदय  की वेदना को तुम,
हृदय  में 'राज'  रहने दो।

बने  जो  प्रेम  का सागर,
हृदय का 'साज' रहने दो।