ईश्वर और मनुष्य - कुछ करने की चाह वह परेशान थी, क्या नहीं था घर में उसके, चैन के सिवा। ईश्वर के सामने नित गिड़गिड़ाती, "मेरा क्या होगा, भगवन!" और इसी सोच से मुस्कुराहट भूल चुकी थी।हाँ एक कमी उसके जीवन में यह थी कि, वह ज्यादा पढ़ी लिखी न थी, जिसके कारण घरवाले उसकी राय बिरला ही लेते थे। चक्रधारी यह सब देख रहा था। जान गया यकायक उसकी पीड़ा। उसकी बेटी के मस्तक में एक सुन्दर ख्याल भर दिया। उसकी बेटी वीना सुशील और शांत चित्त थी। एक अध्यापिका होने के कारण वीना , रोज़ नूतन सबक ज़िंदगी के सीखती थी। अब उसे अपनी मां का चहरा पढ़ना भी आ गया था। वीना ने मां से डिग्री का फार्म भरवाया और एक नया पन्ना उसकी मां के जीवन में जुड़ गया। वह, ईश्वर के सामने चंद आंसू आज एक साल बाद बहा चुकी है, वे खुशी के आसू हैं। आखिर नज़रिया सबका बयदल ही गया। #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #kkpc23 #विशेषप्रतियोगिता #आत्मसम्मान #ईश्वरऔरमनुष्य #लघुकथा